18 अक्टू॰ 2024

बुजुर्गों की सेवा मनुष्य का एक महत्वपूर्ण कर्त्तव्य

 

बुजुर्गों की सेवा मनुष्य का एक महत्वपूर्ण कर्त्तव्य

भारत देश संस्कारो का देश है जिसमें बड़ो का आदर करना बुजुर्गों की सेवा करना मनुष्य का परम कर्त्तव्य रहा है लेकिन वर्तमान समय में मनुष्य अपने इस कर्त्तव्य से विमुख हो रहा है जिसके परिणाम स्वरूप भारत में वृद्ध आश्रमों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है क्योंकि भारत में बुजुर्गों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत में बुजुर्गों अर्थात 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों की संख्या लगभग 32 करोड़ तक पहुंच सकती है जो कुल जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा होगा। यह तेजी से बढ़ती बुजुर्ग जनसंख्या कई सामाजिक आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना कर रही है जिनका समाधान आवश्यक है। बुजुर्गों की सेवा समाज की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है जिसे हमें बचपन से ही समझना और अपनाना चाहिए। सेवा के रूप में यह आवश्यक है कि हम बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान विकसित करें। यह केवल सामाजिक जिम्मेदारी नहीं है बल्कि जीवन के कई महत्वपूर्ण अनुभव भी सिखाता है जो व्यक्ति को मानसिक नैतिक और भावनात्मक रूप से परिपक्व बनाता है।
1 बुजुर्गों की सेवा का महत्व-
विद्यार्थियों को प्रारंभिक शिक्षा से ही नैतिकता और मानवता के मूल्य सिखाए जाएं। बुजुर्गों की सेवा इन्हीं मूल्यों का एक प्रमुख हिस्सा है। सेवा का यह भाव हमें सहानुभूति संवेदनशीलता  और दूसरों की मदद करने की भावना विकसित करने में मदद करता है।
अनुभवों से सीखने का अवसर-
बुजुर्ग व्यक्ति जीवन के कई अनुभवों का खजाना होते हैं। उनके पास वर्षों के ज्ञान और जीवन की कठिनाइयों से लड़ने के अनुभव होते हैं। विद्यार्थियों को बुजुर्गों की सेवा के दौरान उनके अनुभवों से सीखने का अवसर मिलता है, जिससे वे अपने जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर सकते हैं।
सामाजिक संबंधों की मजबूती-
बुजुर्गों की सेवा करने से विद्यार्थियों में सामाजिक संबंधों को बेहतर बनाने और सामुदायिक भावना को विकसित करने का अवसर मिलता है। यह उन्हें समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करता है। जब विद्यार्थी बुजुर्गों का सम्मान और देखभाल करते हैं तो समाज में आपसी सहयोग और सामंजस्य बढ़ता है।
2 विद्यार्थियों के लिए बुजुर्गों की सेवा के लाभ-
नैतिक और आध्यात्मिक विकास-
बुजुर्गों की सेवा करने से विद्यार्थियों में संयम सहिष्णुता और संवेदनशीलता जैसे नैतिक गुणों का विकास होता है। यह सेवा भाव उन्हें न केवल परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदारी सिखाता है बल्कि उनके व्यक्तित्व के निर्माण में भी सहायक होता है। साथ ही यह उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है।
धैर्य और करुणा का विकास-
बुजुर्गों की देखभाल करने से विद्यार्थियों में धैर्य और करुणा का विकास होता है। वे सीखते हैं कि जीवन में हर चीज तुरंत नहीं मिलती और हमें कठिनाइयों के साथ धैर्यपूर्वक काम करना पड़ता है। यह गुण भविष्य में किसी भी चुनौती का सामना करने में सहायक होता है।
परिवार के प्रति जिम्मेदारी का भाव-
बुजुर्गों की सेवा करने से विद्यार्थियों को अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारी का एहसास होता है। वे समझते हैं कि जीवन के हर चरण में परिवार का महत्व होता है और हमें अपने बुजुर्गों का ध्यान रखना चाहिए। यह भावना विद्यार्थियों को जीवन में एक मजबूत परिवारिक आधार प्रदान करती है।
3 भारत में बुजुर्गों की जनसंख्या और सामाजिक स्थिति-
भारत में बुजुर्गों का समाज में एक विशेष स्थान है। पारंपरिक भारतीय समाज में बुजुर्गों को सम्मान और आदर का पात्र माना जाता था क्योंकि वे ज्ञान अनुभव और परंपराओं के संरक्षक होते हैं। परिवारों में बुजुर्गों का मार्गदर्शन और निर्णयों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती थी। हालांकि शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली में आए बदलाव के कारण बुजुर्गों की सामाजिक स्थिति में कुछ बदलाव देखा जा रहा है।
परिवार की संरचना में बदलाव-
पहले जहां संयुक्त परिवार प्रणाली में बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखा जाता था वहीं आजकल छोटे परिवारों के बढ़ने से बुजुर्गों को अकेलापन महसूस होता है। बच्चों के विदेशों में बसने या नौकरी के लिए दूर जाने के कारण बुजुर्गों को अकेले रहना पड़ता है जिससे उनकी सामाजिक और मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अकेलापन और मानसिक स्वास्थ्य-
बहुत से बुजुर्ग अकेलेपन का सामना कर रहे हैं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में। यह स्थिति उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक समस्याओं का कारण बनती है। बुजुर्गों को पारिवारिक और सामाजिक समर्थन की आवश्यकता होती है, लेकिन जब यह समर्थन नहीं मिलता तो उनका मानसिक स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है।
4 आर्थिक स्थिति-
भारत में बहुत से बुजुर्ग आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें अपने बच्चों या समाज पर निर्भर रहना पड़ता है। खासकर असंगठित क्षेत्र के बुजुर्गों के पास पेंशन या वित्तीय सुरक्षा नहीं होती जिससे उनकी आर्थिक स्थिति अस्थिर हो जाती है।
पेंशन और वित्तीय सुरक्षा की कमी-
हालांकि सरकार ने बुजुर्गों के लिए कई पेंशन योजनाएं चलाई हैं लेकिन अभी भी अधिकांश बुजुर्ग इन सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते। इसका मुख्य कारण जागरूकता की कमी और सरकारी प्रक्रियाओं में कठिनाइयां हैं। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले बुजुर्गों के पास कोई वित्तीय सुरक्षा नहीं होती जिससे वे आर्थिक संकट का सामना करते हैं।
स्वास्थ्य देखभाल का खर्च-
उम्र बढ़ने के साथ स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं और भारत में बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं सीमित हैं और निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च बुजुर्गों की आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर देता है। बीमा योजनाएं भी सभी बुजुर्गों के लिए उपलब्ध नहीं हैं जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
5 स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ-
बुजुर्गों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक उनका स्वास्थ्य है। उम्र के साथ बुजुर्गों में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हृदय रोग मधुमेह उच्च रक्तचाप गठिया और मानसिक समस्याएं बढ़ने लगती हैं। लेकिन भारत में बुजुर्गों के लिए समुचित स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है।
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी-
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बुजुर्गों के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाएं कम हैं। कई बार बुजुर्ग अपनी बीमारी के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच नहीं करवा पाते जिससे उनकी समस्याएं गंभीर हो जाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की और भी कमी है जहां बुजुर्गों को इलाज के लिए शहरों का रुख करना पड़ता है।
स्वास्थ्य बीमा का अभाव-
हालांकि सरकार द्वारा कुछ स्वास्थ्य बीमा योजनाएं चलाई गई हैं जैसे वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना लेकिन इन योजनाओं की पहुंच सभी बुजुर्गों तक नहीं है। अधिकतर बुजुर्गों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं होता जिससे उन्हें चिकित्सा सेवाओं का खर्च खुद उठाना पड़ता है जो उनकी आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर देता है।
6 सरकारी योजनाएं और प्रयास-
भारत सरकार ने बुजुर्गों के कल्याण के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हैं जिनका उद्देश्य बुजुर्गों की आर्थिक सामाजिक और स्वास्थ्य स्थिति को सुधारना है। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं:
राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना-
इस योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले बुजुर्गों को मासिक पेंशन प्रदान की जाती है। यह पेंशन उनके जीवन यापन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना-
इस योजना के तहत 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाता है ताकि वे स्वास्थ्य समस्याओं के लिए वित्तीय सुरक्षा प्राप्त कर सकें।
अटल पेंशन योजना-
यह योजना असंगठित क्षेत्र के बुजुर्गों के लिए चलाई गई है जो पेंशन के रूप में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
वृद्धाश्रम और देखभाल केंद्र-
सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम और देखभाल केंद्र चला रहे हैं जहां बुजुर्गों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन यापन का अवसर मिलता है। यहां उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं, भोजन और देखभाल प्रदान की जाती है।
बुजुर्गों की सेवा के विभिन्न तरीके-
समय देना- बुजुर्गों के साथ समय बिता सकते हैं। उनके साथ बातें करना उनकी जरूरतों को समझना और उनके अनुभवों को सुनना उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से सुकून प्रदान कर सकता है। बुजुर्ग अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं।
छोटी-छोटी मदद करना- बुजुर्गों की दैनिक आवश्यकताओं में मदद करना भी एक बड़ा सहयोग हो सकता है। जैसे कि उनके घर के कामों में हाथ बंटाना दवाइयां लाकर देना या उनकी देखभाल में सहयोग करना। यह उन्हें शारीरिक रूप से भी राहत देता है।
डिजिटल शिक्षा में मदद- आज के समय में बुजुर्गों को तकनीकी ज्ञान की कमी होती है। उनके डिजिटल उपकरणों को समझने में मदद कर सकते हैं जैसे कि मोबाइल फोन कंप्यूटर, या इंटरनेट का उपयोग करना सिखा सकते हैं। इससे बुजुर्ग खुद को और अधिक आत्मनिर्भर महसूस करेंगे।
स्वास्थ्य संबंधी सहायता-
बुजुर्गों की स्वास्थ्य समस्याओं को समझ सकते हैं और उन्हें समय पर डॉक्टर से मिलवाने दवाइयों की व्यवस्था करने या उनके लिए व्यायाम और योग जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। इससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा।
निष्कर्ष-
बुजुर्गों की सेवा करना हमारे नैतिक और सामाजिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें जीवन के महत्वपूर्ण गुणों जैसे कि धैर्य करुणा सहानुभूति और जिम्मेदारी का पाठ सिखाता है। हमारे लिए यह सेवा केवल एक कर्तव्य नहीं है बल्कि यह हमारे जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर भी प्रदान करती है। जब हम बुजुर्गों की सेवा करते हैं तो वे न केवल उनके जीवन को बेहतर बनाते हैं बल्कि हम स्वयं भी एक बेहतर इंसान बनते हैं क्योंकि बुजुर्ग समाज का वह वर्ग है जिसने अपने जीवन के अनेक वर्ष समाज परिवार और देश की सेवा में बिताए हैं। उनकी सेवा न केवल हमारी नैतिक जिम्मेदारी है बल्कि हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का एक अभिन्न हिस्सा भी है। भारतीय समाज में बुजुर्गों का विशेष महत्व है क्योंकि वे हमारे अनुभवों परंपराओं और संस्कारों के संरक्षक होते हैं।

लेखक- बद्री लाल गुर्जर

ब्लॉग: http://badrilal995.blogspot.com

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