20 जुल॰ 2025

बाहरी शोर के बीच आंतरिक मौन की तलाश

 बाहरी शोर के बीच आंतरिक मौन की तलाश

लेखक- बद्री लाल गुर्जर

मौन प्रार्थना करता हुआ बालक
मौन प्रार्थना करता हुआ बालक



आज का युग प्रगति, विकास और तीव्र गति का युग है। विज्ञान और तकनीक की ऊँचाइयों ने हमारे जीवन को सुविधाजनक बना दिया है लेकिन इसके साथ ही यह जीवन शोरगुल से भी भर गया है। मोबाइल की रिंगटोन, टीवी की आवाज़, ट्रैफिक का कोलाहल, सोशल मीडिया की अधीरता- ये सभी बाहरी शोर हमारे भीतर की शांति को धीरे-धीरे निगलते जा रहे हैं। ऐसे समय में आंतरिक मौन की तलाश केवल एक मानसिक स्थिति नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक आवश्यकता बन गई है।
1 बाहरी शोर का स्वरूप और उसका प्रभाव-
1 शोर सिर्फ ध्वनि नहीं है- शोर केवल कानों से सुनाई देने वाली ध्वनि तक सीमित नहीं है। यह एक मानसिक स्थिति है- विचारों की भीड़, चिंता की खलबली, अपेक्षाओं का बोझ, और लगातार उपलब्ध रहने का दबाव। यह शोर घरों, दफ़्तरों, स्कूलों से लेकर हमारे अंतर्मन तक फैला हुआ है।
2 डिजिटल युग की अधीरता- हर सुबह हम मोबाइल नोटिफिकेशन्स से जागते हैं और रात तक स्क्रीन देखते-देखते सो जाते हैं। हर क्षण कुछ नया जानने, कहने, दिखाने की होड़ है। इंटरनेट, न्यूज़ चैनल, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप ने हमारी मानसिक शांति को बंधक बना लिया है।
3 सामाजिक दबाव और अपेक्षाएँ- व्यक्ति आज अकेला नहीं परंतु सबसे ज़्यादा अकेला है। वह समाज में मौजूद है परंतु अपनी अंतरात्मा से कट गया है। समाज की अपेक्षाओं तुलना की प्रवृत्ति और स्वीकृति पाने की इच्छा ने मानसिक अशांति को जन्म दिया है।
2 आंतरिक मौन क्या है?
1 मौन का अर्थ- मौन का अर्थ केवल बोलना बंद करना नहीं है। आंतरिक मौन वह अवस्था है जब हमारे भीतर की चंचलता शांत हो जाती है विचारों की दौड़ थम जाती है और हम अपने अस्तित्व के मूल स्वरूप से जुड़ जाते हैं। यह ध्यान की अवस्था है लेकिन इसे किसी साधना या धर्म से जोड़कर सीमित नहीं किया जा सकता।
2 मौन का वैज्ञानिक पक्ष- मनोरोग विशेषज्ञ बताते हैं कि माइंडफुलनेस डीप ब्रीदिंग और मेडिटेशन जैसी तकनीकें दिमाग के लिम्बिक सिस्टम को शांत करती हैं। इससे तनाव कम होता है एकाग्रता बढ़ती है और व्यक्ति भावनात्मक रूप से संतुलित रहता है।
3 मौन की आध्यात्मिकता- भारत के संतों योगियों और मनीषियों ने सदियों पहले मौन की शक्ति को पहचाना था। रामण महर्षि, महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद और बुद्ध ने मौन को आत्मसाक्षात्कार का मार्ग बताया है। गांधी जी तो हफ्ते में एक दिन मौनव्रत रखते थे।
3 आंतरिक मौन की आवश्यकता क्यों है?
1 आत्म-चिंतन और आत्म-ज्ञान के लिए- जब हम मौन होते हैं तब हमारे भीतर आत्म-चिंतन का द्वार खुलता है। हम अपने जीवन के निर्णयों संबंधों और स्वभाव पर विचार कर पाते हैं। यही आत्म-ज्ञान का पहला कदम है।
2 मानसिक स्वास्थ्य के लिए- डिप्रेशन, एंग्जायटी और स्ट्रेस जैसी समस्याएं मौन से बहुत हद तक नियंत्रित की जा सकती हैं। मौन हमें अपनी भावनाओं को समझने और उनसे पार पाने की शक्ति देता है।
3 संबंधों की गहराई के लिए- मौन केवल स्वयं के लिए नहीं दूसरों के लिए भी आवश्यक है। जब हम मौन रहते हैं तो हम सुनना सीखते हैं। इससे हमारे संबंधों में सहानुभूति, समझ और संवेदना बढ़ती है।
4 आंतरिक मौन की खोज के साधन-
1 ध्यान- ध्यान मौन की ओर पहला और सबसे सशक्त कदम है। सुबह-शाम कुछ समय आंखें बंद कर, अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करना हमें आंतरिक शांति की ओर ले जाता है।
2 प्रकृति से जुड़ाव- प्रकृति मौन की सजीव पाठशाला है। पहाड़ों की शांति, नदियों की बहती ध्वनि, पेड़ों की स्थिरता ये सभी हमें मौन का अनुभव कराते हैं। शहरों की भीड़ से दूर किसी प्राकृतिक स्थल पर समय बिताना बेहद लाभकारी होता है।
3 डिजिटल डिटॉक्स- हफ्ते में एक दिन मोबाइल, इंटरनेट, टीवी और सोशल मीडिया से दूरी बना लेना हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित हो सकता है। यह डिजिटल मौन हमें खुद से जुड़ने का अवसर देता है।
4 लेखन और आत्म-संवाद- डायरी लिखना, कविता करना या भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना ये सब मौन के भीतर के संवाद को प्रकट करने के साधन हैं। इससे हमारी चिंताएं बाहर आती हैं और हल्कापन महसूस होता है।
5 मौन व्रत--सप्ताह में एक दिन कुछ घंटे या विशेष अवसरों पर मौन व्रत लेना न बोलना न सोशल मीडिया केवल अपने साथ रहना यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो आत्म-शक्ति को बढ़ाता है।
5 जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में मौन की भूमिका-
1 शिक्षा- आज की शिक्षा प्रणाली में विचारों की गूंज बहुत है लेकिन मौन की कमी है। शिक्षकों और विद्यार्थियों को आत्मचिंतन और सुनने की शक्ति देनी होगी ताकि शिक्षा केवल सूचना नहीं बोध भी बने।
2 चिकित्सा- मौन चिकित्सा एक उभरती हुई पद्धति है जहाँ मानसिक रोगियों को शांत संयमित वातावरण में रखा जाता है। इससे उनका मानसिक तनाव घटता है और उपचार तेजी से होता है।
3 आध्यात्मिक साधना- योग विपश्यना और अन्य साधनाओं में मौन की अनिवार्यता होती है। मौन के द्वारा साधक स्वयं को अहम् से मुक्त कर ब्रह्म से जुड़ता है।
4 पारिवारिक जीवन- परिवार में संवाद आवश्यक है, लेकिन मौन भी ज़रूरी है। हर रिश्ते को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कभी-कभी मौन सहमति, मौन माफी, और मौन समझदारी की आवश्यकता होती है।
6 मौन की चुनौतियाँ और उनसे निपटना-
1 शुरुआती बेचैनी- जब हम मौन रहने का प्रयास करते हैं, तो शुरुआत में बेचैनी होती है। मन इधर-उधर भागता है, विचारों की रेलगाड़ी चलती है। यह स्वाभाविक है। इस अवस्था को स्वीकार कर अभ्यास करते रहना आवश्यक है।
2 सामाजिक असहजता- लोग मौन को अक्सर उदासी या अहंकार समझ लेते हैं। इस भ्रम को दूर करने के लिए दूसरों को पहले से स्पष्ट करना उपयोगी होता है।
3 लगातार अभ्यास की आवश्यकता- मौन कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं है यह एक जीवनशैली है। धीरे-धीरे इसे अपने जीवन में उतारना होता है विचारों, भाषणों और प्रतिक्रियाओं में संयम लाकर।
7 मौन से उत्पन्न फल-
1 आत्म-साक्षात्कार- आंतरिक मौन हमें हमारे वास्तविक स्वरूप से मिलवाता है। जब बाहरी दुनिया की आवाज़ें बंद होती हैं, तो आत्मा की पुकार सुनाई देती है।
2 निर्णय लेने की क्षमता- मौन में बैठने से हमारी अंतर्दृष्टि तेज होती है। हम जीवन के निर्णय बेहतर और स्पष्ट रूप से ले पाते हैं।
3 करुणा और सहानुभूति- मौन व्यक्ति अधिक संवेदनशील होता है। वह दूसरों की पीड़ा को गहराई से समझ सकता है और यथार्थ सहारा दे सकता है।
4 सृजनात्मकता- कलाकार, लेखक, कवि और संगीतकार मौन से प्रेरणा लेते हैं। आंतरिक मौन उनके विचारों को नए रंग देता है।

अतः बाहरी शोर आज अपरिहार्य है लेकिन आंतरिक मौन भी उतना ही आवश्यक है। यह मौन कोई विलासिता नहीं बल्कि मानसिक भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की आवश्यकता है। हमें तकनीक का प्रयोग करते हुए भी मन को स्थिर रखने की कला सीखनी होगी। मौन हमें स्वयं से जोड़ता है और जब हम स्वयं से जुड़ते हैं तभी हम दुनिया से बेहतर रूप में जुड़ सकते हैं। हमें अपने जीवन में कुछ पल ऐसे तय करने होंगे जहाँ हम शोर से दूर स्वयं के साथ मौन में बैठें यही आंतरिक शांति की कुंजी है और यही जीवन की सच्ची यात्रा का आरंभ भी।

 और प्रेरणादायक लेख पढ़ें-

बद्री लाल गुर्जर के अन्य प्रेरणादायक लेख पढ़ें

अंतरदर्शन

प्रतिदिन का आत्मावलोकन- सफल जीवन की कुंजी

 प्रतिदिन आत्मावलोकन, आत्मावलोकन के लाभ, सफल जीवन की कुंजी, आत्म-विश्लेषण, आत्मचिंतन का महत्व, दैनिक आत्ममंथन, self reflection in Hindi, sel...