22 जुल॰ 2025

समस्या समाधान में अंतर्दर्शन की भूमिका है?

समस्या समाधान में अंतर्दर्शन की भूमिका है?


"समस्या समाधान विषयक छवि"
समस्याग्रस्त व्यक्ति


मानव जीवन में समस्याएँ अपरिहार्य हैं। प्रत्येक व्यक्ति कभी न कभी व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक, मानसिक या आध्यात्मिक समस्याओं से दो-चार होता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए जहाँ एक ओर बाहरी उपायों का सहारा लिया जाता है वहीं दूसरी ओर आंतरिक दृष्टिकोण जिसे हम अंतर्दर्शन कहते हैं एक मौलिक, सूक्ष्म और स्थायी समाधान का आधार प्रदान करता है। अंतर्दर्शन न केवल समस्या की जड़ तक पहुँचने में मदद करता है बल्कि समाधान की दिशा भी दिखाता है जो तात्कालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक होता है।
1 अंतर्दर्शन क्या है?
अंतर्दर्शन का अर्थ है- स्वयं के भीतर झांकना अपने विचारों, भावनाओं, व्यवहारों और प्रतिक्रियाओं का सूक्ष्म विश्लेषण करना। यह एक प्रकार की आंतरिक आत्म-जांच है जो बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के स्वयं की चेतना में प्रवेश करती है।

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कार्ल युंग ने कहा था- Who looks outside dreams who looks inside awakes. अर्थात जो बाहर देखता है वह स्वप्न देखता है जो भीतर देखता है वह जाग जाता है।

अंतर्दर्शन के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर के सच को पहचानता है अपने डर भ्रम इच्छाओं और सीमाओं को स्पष्टता से देख पाता है। यह ज्ञान केवल अनुभव और आत्म-स्वीकार से आता है न कि बाहरी उपदेशों से।
2 समस्या का स्वरूप और उसकी उत्पत्ति-
समस्या तब उत्पन्न होती है जब हमारी इच्छाएँ अपेक्षाएँ या मान्यताएँ वास्तविकता से टकराती हैं। समस्या बाहरी प्रतीत होती है लेकिन उसकी जड़ अक्सर आंतरिक होती है।
उदाहरण के लिए-
कोई विद्यार्थी पढ़ाई में असफल हो रहा है। बाहरी कारण- पाठ्यक्रम कठिन है, शिक्षक अच्छे नहीं हैं, समय नहीं मिलता।
लेकिन आंतरिक कारण- आत्मविश्वास की कमी, ध्यान न लगना, नकारात्मक सोच या आलस्य।
यह स्पष्ट करता है कि समस्याओं के पीछे की परतें अक्सर मनोवैज्ञानिक या आत्मिक होती हैं। बिना अंतर्दृष्टि के हम केवल सतही उपचार करते हैं समस्या की जड़ वही रहती है।
3 अंतर्दर्शन द्वारा समस्या समाधान की प्रक्रिया-
(अ) स्वयं को जानना-
समस्याओं का समाधान तब प्रारंभ होता है जब व्यक्ति खुद को जानना शुरू करता है।
मैं कौन हूँ?
मैं ऐसा क्यों सोचता हूँ?
मुझे क्या पीड़ा देती है?
इन प्रश्नों के उत्तर अंतर्दर्शन से ही मिलते हैं। यह जानना कि हम कैसे प्रतिक्रिया करते हैं क्या हमें भयभीत करता है हमें किससे आशा है यह समस्याओं की जड़ तक पहुँचने में सहायक होता है।
(ब) प्रतिक्रिया पर नियंत्रण-
अक्सर समस्या समस्या नहीं होती बल्कि उस पर हमारी प्रतिक्रिया समस्या बन जाती है। अंतर्दृष्टि से हम अपनी प्रतिक्रिया की प्रकृति को पहचान पाते हैं। जैसे-
कोई अपमान करे तो क्रोधित होने के बजाय शांत रहना।
असफलता पर हताश होने के बजाय उससे सीख लेना।
अंतर्दृष्टि हमें सिखाती है कि हर प्रतिक्रिया चुनने का अधिकार हमारे पास है।
(स) आत्मस्वीकृति और परिवर्तन-
कोई भी समस्या तब तक नहीं सुलझ सकती जब तक हम उसके प्रति ईमानदारी से स्वीकार न करें। अंतर्दर्शन हमें यह स्वीकार करने की शक्ति देता है कि हाँ मुझसे भूल हुई, हाँ मुझे बदलने की जरूरत है। यही आत्मस्वीकृति परिवर्तन का प्रथम चरण होता है।
(द) मूल कारण तक पहुँचना-
अंतर्दृष्टि व्यक्ति को केवल समस्या के लक्षण नहीं दिखाती बल्कि उसकी जड़ पर पहुँचाती है। जैसे कोई बार-बार असफल हो रहा है तो हो सकता है कि उसके भीतर असफलता का डर हो या पूर्णता की आकांक्षा जो उसे हर बार थका देती है।
इस भय या आकांक्षा को पहचान कर ही स्थायी समाधान संभव होता है।
4 जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अंतर्दर्शन का योगदान-
(अ) व्यक्तिगत जीवन में-
व्यक्तिगत संबंधों में अक्सर गलतफहमियाँ, ईगो, अपेक्षाएँ समस्याएँ उत्पन्न करती हैं। अंतर्दृष्टि व्यक्ति को यह समझने में सक्षम बनाती है कि-
मैं क्यों क्रोधित हुआ?
मेरी अपेक्षा उचित थी या नहीं?
क्या मैं किसी पर दबाव डाल रहा हूँ?
यह समझ रिश्तों को सुधारने और आत्मसंतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।
(ब) शैक्षणिक और पेशेवर जीवन में-
बाहरी प्रतिस्पर्धा, अपेक्षाएँ, असफलताएँ सबका सामना अंतर्दृष्टिपूर्ण व्यक्ति अधिक धैर्य और विवेक से करता है। जैसे-
असफलता में अवसर देखना।
आलोचना में सुधार की संभावना देखना।
तनाव में भी संतुलन बनाए रखना।
(स) सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर-
जब समाज में समस्याएँ आती हैं जैसे- भ्रष्टाचार, जातिवाद, असमानता तो हम अक्सर दूसरों को दोष देते हैं। परंतु अंतर्दृष्टि हमें आत्मपरीक्षण की ओर ले जाती है-
क्या मैं भी कभी भ्रष्ट आचरण करता हूँ?
क्या मेरे भीतर भी पूर्वग्रह है?
इस प्रकार व्यक्ति जब स्वयं से सुधार प्रारंभ करता है तो समाज का भी परिवर्तन संभव होता है।
5 अंतर्दृष्टि को विकसित कैसे करें?
(अ) ध्यान और साधना-
ध्यान मन की चंचलता को शांत करता है और व्यक्ति को अपने भीतर झाँकने का अवसर देता है। प्रतिदिन कुछ समय मौन में बैठना अपने विचारों का साक्षी बनना अंतर्दृष्टि की दिशा में पहला कदम है।
(ब) आत्मलेखन-
रोजाना अपने विचारों, भावनाओं, अनुभवों को लिखना एक सशक्त अभ्यास है। यह हमें अपने ही जीवन को तीसरे व्यक्ति की दृष्टि से देखने का अवसर देता है।
(स) मौन का अभ्यास-
बाहरी शोर से दूर होकर कुछ समय मौन में बिताना टीवी, मोबाइल, बातचीत से अलग होकर हमें भीतर की आवाज़ सुनने की शक्ति देता है।
(द) पढ़ना और चिंतन-
महात्माओं, दार्शनिकों, विचारकों की आत्मकथाएँ, गीता, उपनिषद, बुद्ध, गांधी जैसे लोगों के विचार गहन चिंतन के माध्यम से अंतर्दृष्टि विकसित करने में सहायक होते हैं।
6 अंतर्दृष्टिपूर्ण उदाहरण-
महात्मा गांधी-
दक्षिण अफ्रीका में रेल से उतार दिए जाने की घटना को गांधी जी ने केवल व्यक्तिगत अपमान के रूप में नहीं लिया। उन्होंने उसमें व्यापक अन्याय देखा और स्वयं से प्रश्न किए-
क्या मैं इसी प्रकार अन्याय सहता रहूँ?
उस अंतर्दृष्टिपूर्ण सोच ने सत्याग्रह की नींव रखी।
गौतम बुद्ध-
उन्होंने संसार के दुःख को देखकर स्वयं से प्रश्न किया-
दुःख क्यों है?
अंतर्दृष्टि से उन्हें चार आर्य सत्य मिले और उन्होंने एक समग्र समाधान आष्टांगिक मार्ग प्रस्तुत किया।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम-
विफलताओं को उन्होंने आत्म-मंथन का माध्यम बनाया और अपनी सोच की दिशा को और अधिक स्पष्ट किया। उन्होंने कहा सपने वो नहीं जो नींद में आएं, सपने वो हैं जो आपको नींद से जगाएं।
7 क्या केवल अंतर्दर्शन ही काफी है?
अंतर्दृष्टि केवल सोचने या समझने की प्रक्रिया नहीं है। यह तभी सार्थक है जब उसके साथ एक्शन जुड़ा हो। सोचने के बाद अगर परिवर्तन नहीं आया तो अंतर्दर्शन अधूरा रह जाता है।
इसलिए-
अंतर्दर्शन + क्रिया = समाधान
समस्या समाधान में अंतर्दर्शन एक अमूल्य साधन है। जहाँ बाहरी दुनिया हमें भ्रमित करती है वहाँ अंतर्दृष्टि हमें सत्य से जोड़ती है। यह केवल समस्याओं को हल करने का उपकरण नहीं बल्कि स्वयं को जानने और आत्मविकास का मार्ग भी है।
आज के तनावपूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक उत्तेजित समाज में अंतर्दर्शन की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। अंतर्दृष्टिपूर्ण व्यक्ति न केवल समस्याओं से पार पाता है बल्कि दूसरों को भी राह दिखाने योग्य बनता है।
बाहर समाधान ढूंढने से पहले भीतर झांकिए- हो सकता है समाधान आपके भीतर ही बैठा हो।

 और प्रेरणादायक लेख पढ़ें-

बद्री लाल गुर्जर के अन्य प्रेरणादायक लेख पढ़ें

अंतरदर्शन

प्रतिदिन का आत्मावलोकन- सफल जीवन की कुंजी

 प्रतिदिन आत्मावलोकन, आत्मावलोकन के लाभ, सफल जीवन की कुंजी, आत्म-विश्लेषण, आत्मचिंतन का महत्व, दैनिक आत्ममंथन, self reflection in Hindi, sel...