सफलता की कुँजी हमारेअवचेतन मन की शक्ति
सफलता का मतलब - सामान्यतया हम सफलता का मतलब यहीं समझते हैं की जीवन में धन, यश
और भौतिक सुख प्राप्त करना। लेकिन, सफलता का असली मतलब हैं जीवन के प्रति संतुष्ट
होना, उस मुकाम तक पहुंचना जहां हम मानव जाति का कुछ भला कर सकें, खुद तो सम्मान
प्राप्त करें ही बल्कि दूसरों को भी सम्मानित कर सकें, खुद तो आगे बढे ही साथ
में दूसरों को भी आगे लाने में मदद कर सकें। यहीं सही मायनों में सफलता का
मतलब हैं।
महत्वपूर्णता,
इज़्ज़त पाना, सम्मान पाना, प्रसंशा का पात्र बनना और लोगो के बीच खुद को एक बेहतर
इंसान के रूप में महसूस करना ही नहीं है,बल्कि सफलता का मतलब है आत्म-सम्मान,
जिंदगी का असली सुख और जीवन में संतुष्टि, अपने परिवार, रिस्तेदार, पड़ोसी अथवा
समाज में ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए कुछ कर पाने का जज़्बा ।
यह सफलता मनुष्य को उसके
अवचेतन मन की शक्ति से प्राप्त होती है और वह अपने दृष्टिकोण को एक दिशा प्रदान
करता हैं और कल्पना की गई वस्तु को प्राप्त करने के लिए एक मार्ग प्रशस्त कर उसे
प्राप्त करने में जुट जाता हैं । मनुष्य द्वारा की गई कल्पना उसे कुछ करने
के लिए मार्गदर्शन देती है। लेकिन यह मार्गदर्शन उसे तभी मिलता है, जब वह अपनी
कल्पना के प्रति जवाबदेह बनता हैं। अगर वह अपनी कल्पना के प्रति जवाबदेह नहीं
हैं, तो इच्छित परिणाम के लिए कुछ नहीं कर पाता हैं और इच्छित परिणाम किसी
चमत्कार से नहीं, वरन् उसकी कर्म शक्ति से ही मिलता है। वह अपने अवचेतन मन में
अच्छी कल्पनाएं करें और जुट जाएं उन कल्पनाओं को साकार करने में, इस तरह की अच्छी
कल्पना करने से वह अपने दिमाग में नकारात्मक कल्पनाओं को आने से रोक देता हैं।
अधिकांश लोग अच्छी कल्पना न कर पाने के कारण ही छोटी-छोटी नकारात्मक कल्पनाएं
करते रहते हैं और परिणामस्वरूप नकारात्मक नजरिया बना लेते हैं। नकारात्मक
दृष्टिकोण के कारण सफलता को प्राप्त करने के लिए कुछ भी नहीं कर पाते हैं, तो हम
इस जगह यह पाते हैं कि अच्छी कल्पनाओं से अच्छे मानसिक चित्र बनते हैं। अच्छे
मानसिक चित्रों से अच्छा दृष्टिकोण बनता है, अच्छा नजरिया जब व्यवहार में आता है,
तो क्षमता बन जाता है और पूर्ण क्षमता से कर्म करने पर सफलता अवश्य मिलती है।
इसलिए यह बात सही है कि कल्पना से भविष्य को वास्तविकता में बदला जा सकता है ।
मनुष्य जो कल्पना करता है, वह कल्पना
उसे करनी है। कल्पना करने के तुरंत बाद अपने दृष्टिकोण व मानसिक परिवर्तन को
महसूस करना है। यह महसूस होते ही उसे अपनी कल्पना की शक्ति का आभास हो जाएगा।
मनुष्य जो भी उसके आस-पास के वातावरण में अपनी आंखों से देखते व कानों से सुनते
हैं, वह सब कुछ मानसिक चित्र में परिवर्तित हो जाता है, लेकिन ये चित्र कमजोर
होते हैं। कल्पना के द्वारा जो मानसिक चित्र बनते हैं, वे ज्यादा शक्तिशाली होते
हैं, इसलिए वह किसी भी वातावरण में रहने के बावजूद भी अपनी कल्पना शक्ति से
ज्यादा शक्तिशाली मानसिक चित्र विकसित कर सकता हैं। वह मानसिक चित्रों को कल्पना
द्वारा नियंत्रित कर सकता हैं। इसी प्रकार हमारे मानसिक चित्रों में जो हमारी
काल्पनिक छवि मौजूद होती है, उसके द्वारा हमारा भविष्य नियंत्रित किया जाता
है।
इसलिए मानसिक चित्र में धन, संपदा की कल्पना कीजिए। बार-बार कीजिए, लगातार कीजिए,
गहन कीजिए- तो हम धनवान बनतें हैं।
मानसिक चित्र में पढ़ाई में होशियार होने की कल्पना कीजिए बार - बार कीजिए तो हम
होशियार हो जायेंगे ।
मानसिक चित्र में याद दास्त तेज करने की कल्पना कीजिए बार - बार कीजिए तो हमारी
याद दास्त तेज हो जायेगी ।
मानसिक चित्र में सफलता की कल्पना कीजिए, बार-बार
कीजिए, लगातार कीजिए, गहन कीजिए- तो हम सफल होंगे ।
मानसिक चित्र में प्रसिद्धि की कल्पना कीजिए, बार-बार कीजिए, लगातार कीजिए, गहन
कीजिए- तो हम प्रसिद्ध हो जाएंगे।
मानसिक चित्र में नेतृत्व की कल्पना कीजिए, बार-बार कीजिए, लगातार कीजिए, गहन
कीजिए तो हम नेतृत्वशाली बनते हैं।
यहाँ कल्पना का आशय यह नहीं कि उपर्युक्त वस्तुएं किसी जादू के द्वारा आसमान से
टपककर हमारी झोली में आ जाएंगी। यह प्रक्रिया तो हमारे जीवन में जीवन मार्गदर्शन
प्रणाली विकसित करने के लिए है। जिसके कारण इच्छित परिणाम नजर आने पर कर्म करने
में अधिक मन लगता है । व हमें अनेक अन्य नये सकारात्मक अनुभव भी हो सकते है।
अब जब हम कल्पना की शक्ति को समझ चुके
हैं, तो क्यों न अच्छी कल्पनाएं करें और भविष्य को अपनी मानसिकता के अनुरूप बदलने
में जुट जाएं।
कल्पना किसी न किसी हद तक हमारे भविष्य को नियंत्रित करती हैं, क्योंकि कल्पना
हमारे दृष्टिकोण को बदलती है। हमारा दृष्टिकोण हमारी कार्यशैली को बदलता है और
हमारी कार्यशैली हमारा पूरा जीवन बदल देती है। इस क्रम में हमने यह भी जाना कि
कल्पना की गहनता अति आवश्यक है।
कल्पना गहन कैसे हो? गहरी कल्पना से गहरे मानसिक
चित्र बनते हैं और यही मानसिक चित्र हमारे अवचेतन मन में जाकर हमारे जीवन को
नियंत्रित करते हैं। लेकिन कल्पना गहरी केवल सोचने मात्र से नहीं हो जाती है,
उसके लिए हमें लक्ष्य आदेश बनाने होते हैं। ये लक्ष्य आदेश हमें हर बार उस
कल्पना को सोचने में लगने वाले समय की बचत में उपयोगी सिद्ध होते हैं। जब हम
हमारे जीवन के लक्ष्य को एक लक्ष्य-आदेश में ढाल लेते हैं, तो उस लक्ष्य-आदेश के
सामने आते ही वह पूरी कल्पना हमारे मस्तिष्क पटल में जीवंत हो जाती है।
हमारा अवचेतन मन चौबीस घंटे, पूरे हफ्ते, पूरे महीने, पूरे साल, पूरी जिंदगी बिना
रुके काम करता रहता है। सामान्यतया हमारा चेतन मन चौबीस घंटे में एक बार आराम की
स्थिति के लिए बाध्य है।
इस प्रकार हमारी सफलता की कुँजी हमारे अवचेतन मन की शक्ति से खुलती हैं । जिससे
हम हमारे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं ।
लेखक परिचय