भारत विविधताओं वाला देश हैं यहाँ विभिन्न भाषाओं,बोलियों, जातियों व धर्मों के अनुयायी निवास करते हैं यहाँ हिंदू , बौद्ध , इस्लाम, सिख, जैन, ईसाई व पारसी जैसे विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं,जो सभी लोग धर्म और कर्म सिद्धांत में विश्वास करते हैं। भारतीय समाज स्वभाव से ईश्वर-भक्त है, जो आत्मा शुद्धि, पुनर्जन्म, मोक्ष, स्वर्ग की विलासिता और नरक की सजा में विश्वास करता है। यहाँ के लोग अपने-अपने धर्मो के अनुसार विभिन्न धार्मिक त्योहार किसी अन्य धर्म के अनुयायियों को नुकसान पहुंचाए बिना बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से मनाते हैं। इसलिए हमारा देश त्योहारों का देश कहलाता है। यहाँ हर धर्म के अपने-अपने त्योहार हैं। पर सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर इन्हें मनाते हैं। लेकिन अलग-अलग इलाकों में ये त्योहार अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं। त्योहार चाहे किसी भी धर्म के हों, किसी भी इलाके में मनाए जाते हों, किसी भी नाम से जाने जाते हों, संदेश सबके एक से ही हैं-भाईचारा, प्रेम, सेवा, खुशी, बुराई पर अच्छाई की जीत। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसी कारण यहाँ वर्ष में विभिन्न तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं। ये त्यौहार भारत की अखंडता, प्रभुत्व और भाईचारे का प्रतीक हैं।
भारतीय त्योहारों का इतिहास अत्यंत प्राचीन और विविधतापूर्ण है, जो देश की सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक धरोहर को प्रतिबिंबित करता है। भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों की उत्पत्ति विभिन्न धार्मिक ग्रंथों, पौराणिक कथाओं, और ऐतिहासिक घटनाओं से हुई है। ये त्योहार देश की विभिन्न जातियों, संस्कृतियों, और समुदायों द्वारा विविध रूपों में मनाए जाते हैं।
हिन्दू धर्म के विभिन्न त्योंहारो में से एक है रक्षाबंधन, जिसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है। इसका इतिहास प्राचीन समय से जुड़ा हुआ है, और इस त्योहार के संदर्भ में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। यह त्योंहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भाई-बहन के बीच के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन (अगस्त के महीने में) मनाया जाता है। रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है "रक्षा का बंधन" और इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी (धागा) बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं और उन्हें उपहार देते हैं। रक्षाबंधन का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। महाभारत में इस त्योहार का उल्लेख मिलता है।
1. महाभारत- सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध कथा महाभारत से संबंधित है। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था, तब उनके हाथ में चोट लग गई थी। इस पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण के हाथ पर बांध दिया था। इसके बदले में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की हर हाल में रक्षा करने का वचन दिया। यही वचन उन्होंने चीरहरण के समय निभाया था।
2. राजा बलि और देवी लक्ष्मी- एक अन्य कथा के अनुसार, जब विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और उसे पाताल लोक भेज दिया, तो राजा बलि ने भगवान विष्णु से अपने साथ रहने का अनुरोध किया। विष्णु के पाताल लोक में रहने से देवी लक्ष्मी चिंतित हो गईं। देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर उसे अपना भाई बना लिया, और बदले में राजा बलि ने भगवान विष्णु को लक्ष्मी के पास लौटने की अनुमति दी। इस प्रकार, यह त्योहार भाइयों के लिए रक्षा और बहनों के लिए आशीर्वाद का प्रतीक बन गया।
3. रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ- मध्यकालीन इतिहास में, चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजकर उसे अपना भाई बनाया और अपनी रक्षा के लिए उससे सहायता मांगी। हुमायूँ ने उस राखी का सम्मान करते हुए अपनी सेना लेकर कर्णावती की सहायता के लिए आया। यह घटना राखी के महत्व और भाई-बहन के रिश्ते की गहराई को दर्शाती है।
4. सिख धर्म- सिख धर्म में भी राखी का महत्व है। गुरु नानक देव जी के समय में भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में इस त्योहार को मनाने का चलन था।
5. आधुनिक युग - रक्षाबंधन ने आधुनिक युग में भी अपने महत्व को बनाए रखा है। यह त्योहार केवल हिंदू धर्म में ही नहीं, बल्कि सिख, जैन, और अन्य समुदायों में भी मनाया जाता है। इसके सांस्कृतिक महत्व के चलते यह त्योहार पूरे भारत में, और अब तो भारतीय प्रवासी समुदायों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
1.राष्ट्रीय एकता का प्रतीक- 20वीं शताब्दी में, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर ने रक्षाबंधन को भाईचारे और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में मनाने का आह्वान किया। उन्होंने इस त्योहार को हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया।
2. फिल्मों और साहित्य में- रक्षाबंधन का उल्लेख कई भारतीय फिल्मों, टीवी धारावाहिकों और साहित्य में भी हुआ है, जहाँ इसे भाई-बहन के बीच के प्रेम और जिम्मेदारी के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व- यह एक पारिवारिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह समाज में भाईचारे और सद्भाव का संदेश भी देता है। यह त्योहार हमें अपने परिवार और रिश्तों की अहमियत को समझाता है और उन्हें मजबूत बनाने के लिए प्रेरित करता है। इस प्रकार, रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सदियों से समाज में प्रेम, विश्वास, और एकता का प्रतीक बना हुआ है।
4. समकालीन परंपराएँ- आज के समय में रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के बीच प्रेम और सुरक्षा के व्रत के रूप में मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। बदले में, भाई उन्हें उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। यह त्योहार उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है जो एक-दूसरे के प्रति प्रेम और देखभाल का प्रतीक हैं, चाहे वे रिश्ते में भाई-बहन हों या नहीं।
इस प्रकार, रक्षाबंधन का त्योहार सदियों से भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और यह भविष्य में भी भाई-बहन के पवित्र संबंध को संजोता रहेगा।
5. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व- यह एक पारिवारिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह समाज में भाईचारे और सद्भाव का संदेश भी देता है। यह त्योहार हमें अपने परिवार और रिश्तों की अहमियत को समझाता है और उन्हें मजबूत बनाने के लिए प्रेरित करता है। इस प्रकार, रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सदियों से समाज में प्रेम, विश्वास, और एकता का प्रतीक बना हुआ है।
अतः यह एक ऐसा त्योहार है जो न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि समाज में सामूहिकता और एकता का संदेश भी देता है। यह त्योहार हमें बताता है कि प्रेम, विश्वास और समर्पण से बने रिश्ते कितने महत्वपूर्ण होते हैं। रक्षाबंधन के अवसर पर हमें अपने सभी रिश्तों की अहमियत समझनी चाहिए और उन्हें सहेजने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार, रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व है जो भारतीय संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक मूल्यों का एक अद्वितीय प्रतीक है।
बद्री लाल गुर्जर
बनेडिया चारणान
(टोंक)