20 जुल॰ 2024

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जीवन कौशल

 जीवन कौशल 


शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकास करने वाली प्रक्रिया है जो मनुष्य को सीखने सिखाने की कला के साथ ही एक सुसभ्य व चरित्रवान नागरिकों का निर्माण करती है यही प्रक्रिया उसे एक जिम्मेदार व सामाजिक नागरिक बनकर जीवन जीने की कला सिखाती है। 


हमारे देश में प्राचीन काल से ही शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है जिसके द्वारा वेद, उपनिषद, पुराण, और अन्य प्राचीन ग्रंथों में विभिन्न विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और गुरुकुलों के माध्यम से विद्यार्थियों को धार्मिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक शिक्षा प्रदान की जाती थी।


वेदिक काल में गुरुकुल शिक्षा के मुख्य स्रोत थे, जिनके माध्यम से  छात्र गुरु के आश्रमों में जाकर उनसे विभिन्न विषयों में  शिक्षा प्राप्त करके अपने भावी जीवन का निर्माण करते थे।


ब्रिटिश शासन काल में, विदेशी शिक्षा प्रणाली को भारत में लागू किया गया जिससे शिक्षा का प्राचीन परंपरागत स्वरूप ही बदल गया। इसके बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शिक्षा को समाजसेवा और राष्ट्रनिर्माण का एक महत्वपूर्ण साधन माना गया, और स्वतंत्रता के बाद भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी नीतियों को स्थापित किया।


वर्तमान शिक्षा नीति में जीवन कौशल शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है जिसके माध्यम से हम छात्रों के सर्वांगीण विकास के साथ - साथ सुसभ्य नागरिकों का निर्माण कर सकते हैं -

जीवन कौशल शब्द का आजकल व्यापक प्रयोग हो रहा है लेकिन इसका अक्सर प्रयोग आजीविका कौशलों के साथ किया जाता है जबकि दोनों एक दूसरे से भिन्न हैं। आजीविका कौशल का अर्थ मनुष्य के द्वारा अपने व अपने परिवार के भरण पोषण के लिए धन अर्जित करना है जबकि जीवन कौशल में मनुष्य के आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आयाम सम्मिलित होते हैं।जिससे मनुष्य के विकास में सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक परिवेश का महत्वपूर्ण योगदान रहता है तथा जीवन कौशल शिक्षा  भारतीय समाज को अधिक विश्वसनीय, समर्थक, और समानतापूर्ण बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


जीवन कौशल लोगों को निर्णय लेने, विचारों का प्रभावी ढंग से आदान - प्रदान करने एवं आत्म प्रबंधन कौशलों को विकसित करने में उनकी सहायता कर सकता है जिससे लोग स्वस्थ एवं लाभप्रद जीवन जी सकते हैं।विद्यार्थियों, अध्यापकों और समुदाय के सदस्यों को जीवन कौशल शिक्षा देना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे जीवन का स्तर बेहतर बनता है।



जीवन कौशल मनुष्य को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक खुशहाली की पूर्ण अवस्था प्राप्त करने के विभिन्न विकल्पों को ढूंढ़ने में सहायक होती है। इसलिए जीवन कौशल शिक्षा सिर्फ सूचना का आदान-प्रदान करना ही नहीं है बल्कि इससे कौशल विकास भी होता है जो मनुष्य को सफल आदमी के रूप में जीवन जीने और परिवार, समुदाय एवं कार्यबल जैसी अलग-अलग भूमिकाओं को कुशलता से निभाने में उसकी सहायता करता है। जीवन कौशल स्वस्थ एवं सामाजिक रूप से स्वीकृत किशारों को प्रोत्साहन देते हैं ।


किशोरों को बाल्यवस्था से वयस्क नागरिक बनने में जीवन कौशल उनकी सहायता करते हैं जिससे सुसभ्य व चरित्रवान नागरिकों का निर्माण होता है।


जीवन कौशल से किशोरों को सामाजिक क्षमता एवं समस्या निवारण कौशलों से अपनी निजी पहचान  बनाने में सहायता मिलती है।


जीवन कौशल से मनुष्य को सही और गलत की पहचान करने की समझ विकसित होती है जिससे समस्या उत्पन्न करने वाले व्यवहार को रोकने में सहायता मिलती है।


जीवन कौशल से सकारात्मक सामाजिक मानदंडों को बढ़ावा मिलता है जिसका असर किशोर की स्वास्थ्य सेवाओं, विद्यालयों, परिवार एवं समाज पर पड़ सकता है।


जीवन कौशल से सकारात्मक स्वाभिमान के विकास को बढ़ावा मिलता है और इससे मनुष्य क्रोध को नियंत्रित करना सीखता है।

अतः जीवन कौशल शिक्षा कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित किया जाता है तो निश्चित रूप से इससे किशोरों को अपने जीवन के सर्वाधिक कठिन पक्ष का सामना करने में सहायता मिलेगी।


बद्री लाल गुर्जर

अध्यापक

मगांरावि नगर (टोंक)

9414878233


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