आत्म-जागृति और अंतर्मन को समझने की प्रक्रिया
लेखक- बद्री लाल गुर्जर
मनुष्य का अस्तित्व केवल उसकी शारीरिक उपस्थिति तक सीमित नहीं हैबबल्कि उसके भीतर एक सूक्ष्म और गूढ़ चेतना भी निवास करती है जिसे अंतर्मन कहा जाता है। इसी अंतर्मन को जब व्यक्ति समझने लगता है और स्वयं के वास्तविक स्वरूप से साक्षात्कार करता है तो उस अवस्था को आत्म-जागृति कहा जाता है। यह एक आंतरिक यात्रा है बाहर से भीतर की ओर शोर से मौन की ओर और भ्रम से सत्य की ओर।
आत्म-जागृति क्या है?
आत्म-जागृति का अर्थ है- अपने सच्चे स्वरूप अपने विचारों भावनाओं और आचरण के पीछे छिपे कारणों को जानना और उन्हें स्वीकार करना। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ व्यक्ति अपनी मूल प्रकृति संस्कारों आदतों और धारणाओं से ऊपर उठकर तटस्थ दृष्टि से स्वयं को देख पाता है।
आत्म-जागृति के लक्षण
- भीतर शांति की अनुभूति
- गलतियों को स्वीकार करने की शक्ति
- निर्णय लेने की स्पष्टता
- जीवन के उद्देश्य की पहचान
- बाहरी स्थितियों से कम प्रभावित होना
अंतर्मन क्या है?
अंतर्मन वह सूक्ष्म चेतना है जहाँ हमारी स्मृतियाँ विश्वास आदतें डर इच्छाएँ और अनुभव सुरक्षित रहते हैं। यह चेतन मन से अधिक प्रभावशाली होता है और हमारे व्यवहार को बहुत हद तक निर्देशित करता है।
अंतर्मन की विशेषताएँ
- यह हमेशा सक्रिय रहता है- नींद में भी।
- यह बार-बार दोहराए गए विचारों और भावनाओं को सच मान लेता है।
- यह प्रतीकों और भावनात्मक भाषा को जल्दी समझता है।
- यह बाहरी दुनिया से नहीं भीतर की संवेदनाओं से संचालित होता है।
आत्म-जागृति की प्रक्रिया
1 मौन की ओर झुकाव
मन की शांति के लिए कुछ समय तक मौन रहना आवश्यक होता है। मौन केवल बोलने से ही नहीं सोचने की प्रक्रिया को धीमा करने से आता है। ध्यान प्राणायाम और एकांत इसके प्रमुख साधन हैं।
2 स्व-निरीक्षण
दिन के अंत में यह विचार करना कि हमने क्या सोचा, क्या कहा और क्या किया- आत्म-जागृति की ओर पहला ठोस कदम है। यह आदत हमें अपने स्वभाव को गहराई से देखने में मदद करती है।
3 स्वीकृति
स्वयं की कमजोरियों कमज़ोरियों और छुपे हुए डर को स्वीकार करना अत्यंत आवश्यक है। स्वीकृति के बिना आत्म-जागृति संभव नहीं।
4 अंतर्मन की भाषा को समझना
जब हम किसी बात पर अनायास ही दुखी, गुस्से में या भयभीत हो जाते हैं, तो उसका कारण अंतर्मन में छिपा होता है। इन प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने से अंतर्मन को पढ़ने की शक्ति विकसित होती है।
5 विचारों की निगरानी
जो हम सोचते हैं/वही हम बनते हैं। इसलिए विचारों पर सतत ध्यान देना आवश्यक है। नकारात्मक विचारों को सकारात्मकता में रूपांतरित करना आत्म-जागृति की एक कला है।
आत्म-जागृति के लाभ
- मानसिक स्पष्टता- व्यक्ति भ्रमों से मुक्त होकर स्पष्ट निर्णय ले पाता है।
- भावनात्मक संतुलन- भावनाएँ नियंत्रित रहती हैं/जीवन में संतुलन आता है।
- आध्यात्मिक विकास- व्यक्ति अपने आत्मिक स्वरूप से जुड़ जाता है।
- संबंधों में सुधार- जब व्यक्ति स्वयं को समझने लगता है, तो दूसरों को भी बेहतर समझता है।
- सच्चे सुख का अनुभव- बाहरी वस्तुएँ नहीं बल्कि भीतर की स्थिरता ही सच्चा सुख है।
अंतर्मन को समझने के उपाय
1 डायरी लेखन -
अपने विचारों और भावनाओं को लिखने की आदत अंतर्मन की परतों को खोलने में मदद करती है।
2 प्रश्न पूछना-
खुद से प्रश्न करें-
मैं ऐसा क्यों सोच रहा हूँ?
मुझे इस बात से डर क्यों लग रहा है?
इस भावना का मूल कारण क्या है?
3 प्रकृति से जुड़ाव-
प्रकृति के सान्निध्य में रहकर मन शांत होता है और अंतर्मन की आवाज़ को सुनना आसान हो जाता है।
4 अच्छे साहित्य का अध्ययन-
महापुरुषों की आत्मकथाएँ आध्यात्मिक ग्रंथ और प्रेरक साहित्य अंतर्मन की गहराई तक पहुँचने में सहायता करते हैं।
निष्कर्ष
आत्म-जागृति कोई एक बार होने वाली घटना नहीं बल्कि जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है। यह एक सतत यात्रा है जो बाहर से भीतर और भीतर से परे तक जाती है। इस यात्रा में अंतर्मन को समझना और उसे निर्दोष दृष्टि से देखना सबसे आवश्यक कदम है। जैसे-जैसे हम अपने भीतर की गहराइयों में उतरते हैं वैसे-वैसे हमारा जीवन अधिक स्वस्थ संतुलित और सार्थक होता चला जाता है।
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