13 जुल॰ 2025

आज के युग में अंतर्दर्शन क्यों आवश्यक है?

 


आज के युग में अंतर्दर्शन क्यों आवश्यक है?

लेखक- बद्री लाल गुर्जर

वर्तमान समय तकनीकी प्रगति वैश्विक जुड़ाव और जीवन की तेज़ रफ्तार का युग है। हम हर समय सूचनाओं अपेक्षाओं और प्रतिस्पर्धाओं के बीच घिरे हुए हैं। इस भागदौड़ जिन्दगी में जब बाहरी दुनिया हमारी चेतना को लगातार खींचती है तो इस समय अंतर्दर्शन एक ऐसा साधन बनकर उभरता है जो हमें भीतर की यात्रा पर ले जाकर सच्चे आत्म-ज्ञान संतुलन और शांति की ओर अग्रसर करता है।
1 अंतर्दर्शन का अर्थ और मूलभावना-
अंतर्दर्शन का अर्थ है स्वयं के मन, विचारों, भावनाओं और कर्मों का निरिक्षण करना। यह आत्मनिरीक्षण की वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति स्वयं को ईमानदारी से देखने और समझने की चेष्टा करता है। Know thyself- यह यूनानी दार्शनिक सुकरात का प्रसिद्ध वाक्य है जो अंतर्दर्शन के महत्व को रेखांकित करता है।
प्रमुख तत्व-
अपने विचारों का निरीक्षण।
भावनाओं के मूल कारणों की पहचान।
निर्णयों की समीक्षा।
आत्मविकास की दिशा में परिवर्तन।
2 आज के युग की चुनौतियाँ-
1 सूचनाओं की अधिकता- हम हर दिन हजारों सूचनाएं ग्रहण करते हैं- सोशल मीडिया, न्यूज़, विज्ञापन, मेसेज आदि से। इससे हमारी मानसिक स्पष्टता धुंधली हो जाती है और अंतर्मन से जुड़ाव टूट जाता है।
2 प्रतिस्पर्धा और तुलना- आज का समाज कौन आगे है?
की मानसिकता से प्रेरित है। यह तुलना हमें बाहरी सफलता की ओर तो ले जाती है लेकिन आंतरिक संतोष से दूर कर देती है।
3 मानसिक स्वास्थ्य की गिरावट- तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। WHO की रिपोर्ट के अनुसार हर 4 में से 1 व्यक्ति किसी न किसी मानसिक चुनौती से ग्रस्त है।
4 सामाजिक दिखावा- लोग अपने जीवन का एक संशोधित संस्करण दूसरों के सामने प्रस्तुत करते हैं जिससे वास्तविकता और पहचान का संकट उत्पन्न होता है।
3 अंतर्दर्शन की आवश्यकता क्यों है?
1 आत्म-ज्ञान के लिए- अंतर्दर्शन आत्म-ज्ञान की कुंजी है। यह हमें यह जानने में मदद करता है कि-
हम कौन हैं?
हमारे निर्णयों के पीछे क्या कारण हैं?
हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं?
2 भावनात्मक संतुलन के लिए- हमारे कई निर्णय भावनाओं से प्रभावित होते हैं। अंतर्दर्शन से हम उन भावनाओं की जड़ तक पहुँचते हैं और उन्हें संतुलित करना सीखते हैं।
3 मानसिक स्पष्टता के लिए- जब हम नियमित रूप से अपने विचारों का निरीक्षण करते हैं तो भ्रम दूर होते हैं और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
4 सही निर्णय लेने के लिए- हम अक्सर बाहरी दबावों में आकर गलत निर्णय ले लेते हैं। अंतर्दर्शन से हम जान पाते हैं कि हमारे लिए सही क्या है।
5 आत्मविकास और सुधार के लिए- अंतर्दर्शन हमें अपनी कमियों का आईना दिखाता है और सुधार की प्रेरणा देता है।
4 अंतर्दर्शन कैसे किया जाए?
1 मौन का अभ्यास- रोज़ कुछ समय के लिए मौन रहना, विचारों को स्पष्ट करता है।
2 जर्नलिंग- हर दिन अपने विचारों, भावनाओं और घटनाओं को लिखना बहुत प्रभावशाली होता है।
3 ध्यान- ध्यान आत्म-निरीक्षण का सबसे गहन तरीका है, जिससे मन शांत और केंद्रित होता है।
4 प्रश्न पूछना- स्वयं से सवाल पूछना
आज मैंने क्या अच्छा किया?
क्या मैं अपने मूल्यों के अनुसार जी रहा हूँ?
मेरा आज का व्यवहार मेरे लक्ष्य से मेल खाता है या नहीं?

5 अंतर्दर्शन के लाभ-

1 बेहतर आत्मविश्वास- जब आप खुद को जान लेते हैं, तो आपकी निर्णय लेने की क्षमता और आत्मविश्वास बढ़ता है।                          2 संबंधों में सुधार- जो व्यक्ति खुद को समझता है, वह दूसरों को भी बेहतर समझ पाता है।

3 तनाव में कमी- जब मन में स्पष्टता और स्वीकार्यता आती है, तो तनाव अपने आप कम हो जाता है।
4 रचनात्मकता में वृद्धि- अंतर्दर्शन हमें रचनात्मक समाधान खोजने की प्रेरणा देता है।
5 आध्यात्मिक प्रगति- आंतरिक यात्रा व्यक्ति को बाह्य अनुभवों से परे एक गहरे सत्य की ओर ले जाती है।
6 अंतर्दर्शन और आधुनिक तकनीक-
1 डिजिटल डिटॉक्स- तकनीक से दूर रहकर मन को सुनना संभव होता है। कुछ समय के लिए मोबाइल/सोशल मीडिया से दूर रहना अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
2 ऐप्स जो सहायता कर सकते हैं-
Headspace, Calm – ध्यान में सहायक
Day One, Journey – जर्नलिंग के लिए
Reflectly – आत्म-प्रश्नों पर आधारित लेखन
7 शिक्षा और युवाओं में अंतर्दर्शन का महत्व-
1 छात्रों में आत्म-जागरूकता- अक्सर विद्यार्थी केवल अंक प्राप्त करने में लगे रहते हैं। अंतर्दर्शन उन्हें यह सोचने की शक्ति देता है कि वे किस दिशा में जा रहे हैं और क्यों।
2 करियर चयन में मदद- जब कोई व्यक्ति अपने गुणों और रुचियों को समझता है, तो वह सही करियर चुन पाता है।
3 सोशल मीडिया के प्रभाव से मुक्ति- युवाओं में दिखावे की प्रवृत्ति अधिक होती है। अंतर्दर्शन उन्हें वास्तविकता से जोड़ता है।
8 समाज और नेतृत्व में अंतर्दर्शन-
1 नेताओं में ज़रूरी गुण- एक अच्छा नेता वह होता है जो अपने विचारों और उद्देश्यों से स्पष्ट हो। अंतर्दर्शन उन्हें निस्वार्थ और विवेकशील बनाता है।
2 सामाजिक बदलाव- जब समाज के सदस्य स्वयं से जुड़ते हैं, तो वे बेहतर नागरिक, बेहतर माता-पिता, बेहतर शिक्षक और बेहतर साथी बनते हैं।
9 अंतर्दर्शन को जीवनशैली में कैसे शामिल करें-
1 दिनचर्या में समय तय करें- हर दिन कम से कम 10-15 मिनट का “अंतर्दर्शन समय” रखें।
2 प्रकृति के साथ समय बिताएं- प्रकृति की गोद में मन स्वतः अंतर्मुखी होता है।
3 प्रेरणादायक साहित्य पढ़ें- आध्यात्मिक और दार्शनिक लेखन अंतर्दर्शन को प्रोत्साहित करता है।
4 सत्संग और चिंतन- सकारात्मक और विवेकी लोगों के साथ संवाद मन को गहराई देता है।
आज का युग जितना उन्नत है उतना ही उलझनों से भरा हुआ भी है। बाहरी प्रगति के साथ अगर आंतरिक प्रगति न हो तो जीवन असंतुलित हो जाता है। अंतर्दर्शन हमें इस संतुलन की ओर ले जाने वाला एक साधन है। यह केवल आत्मज्ञान नहीं देता बल्कि जीवन को एक नई दृष्टि, नई ऊर्जा और नए उद्देश्य से भर देता है। इसलिए अंतर्दर्शन न केवल एक आध्यात्मिक अभ्यास है बल्कि आज के समय की एक मनोवैज्ञानिक सामाजिक और व्यावहारिक आवश्यकता भी है।

लेखक-

बद्री लाल गुर्जर

ब्लॉग- http://badrilal995.blogspot.com

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