विचारों का अवलोकन स्वयं को देखने का अभ्यास
लेखक- बद्री लाल गुर्जर
प्रस्तावना
मानव जीवन की सबसे बड़ी शक्ति उसका मन है। यही मन हमें महान ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है और यही मन हमें गहरे दुख में भी डाल सकता है। मन की शक्ति उसके विचारों में निहित होती है। दिन-प्रतिदिन हमारे भीतर हजारों-लाखों विचार आते-जाते रहते हैं। ये विचार कभी रचनात्मक होते हैं तो कभी नकारात्मक। जब हम इन विचारों से अनभिज्ञ रहते हैं तब हम उनके गुलाम बन जाते हैं। लेकिन जब हम विचारों का अवलोकन करने लगते हैं तब हम धीरे-धीरे अपने मन के मालिक बनने लगते हैं।
विचारों का अवलोकन यानी स्वयं को देखने का अभ्यास यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम अपने भीतर उठ रहे विचारों को न रोकते हैं न ही उनका मूल्यांकन करते हैंनबल्कि उन्हें केवल देखते हैं। इस अभ्यास से हमारी चेतना गहरी होती है आत्म-जागरूकता बढ़ती है और हम मानसिक शांति की ओर अग्रसर होते हैं।
विचारों की प्रकृति-
- आंकड़े और भिन्नता अलग-अलग अध्ययनों में विचारों की संख्या को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं। कुछ के अनुसार यह संख्या लगभग 70,000 है, तो कुछ के अनुसार 12,000 से 60,000 के बीच।
- विचारों की प्रकृति:
- यह अनुमान लगाया जाता है कि हमारे ज्यादातर विचार, यानी लगभग 95% से 98%, वही होते हैं जो हमने पिछले दिनों में सोचे होते हैं। इसका मतलब है कि नए विचार बहुत कम होते हैं।
- नकारात्मक विचार-
- कुछ स्रोतों के अनुसार, इनमें से 80%
- विचार
- नकारात्मक हो सकते हैं, जो तनाव और
- चिंता को बढ़ा सकते हैं।
यही कारण है कि मन अक्सर थका हुआ व्याकुल और बेचैन रहता है। यदि हम विचारों को बिना देखे उन पर विश्वास करते रहें तो वे हमें अंधेरे रास्ते पर ले जा सकते हैं। लेकिन जब हम उन्हें देखते हैं तो धीरे-धीरे उनमें से छान-बीन कर पाते हैं कि कौन से विचार हमारे लिए सार्थक हैं और कौन से नहीं।
विचारों का अवलोकन क्यों ज़रूरी है?
1 तनाव और चिंता से मुक्ति-
हमारे अधिकांश तनाव का कारण यही है कि हम अपने विचारों को ही वास्तविकता मान लेते हैं। नकारात्मक विचारों पर लगातार ध्यान देने से चिंता बढ़ती है। लेकिन जब हम उन्हें केवल देखते हैं तो उनका असर कम हो जाता है।
2 आत्म-जागरूकता-
विचारों को देखने से हमें अपनी वास्तविक प्रकृति का पता चलता है। हम समझ पाते हैं कि मैं विचार नहीं हूँ बल्कि विचारों का साक्षी हूँ।
3 निर्णय लेने की क्षमता-
स्पष्ट और शांत मन ही सही निर्णय ले सकता है। अवलोकन की आदत से अनावश्यक भ्रम और दुविधा दूर होती है।
4 भावनात्मक संतुलन-
गुस्सा, ईर्ष्या, डर, अहंकार जैसी भावनाएँ तभी हमें नियंत्रित करती हैं जब हम उनसे अंधेरे में बंध जाते हैं। जब हम उन्हें देखने लगते हैं तो धीरे-धीरे वे अपना असर खो देती हैं।
5 आध्यात्मिक विकास-
साक्षीभाव ही ध्यान और साधना की नींव है। विचारों का अवलोकन हमें आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।
स्वयं को देखने का अभ्यास कैसे करें?
1 श्वास पर ध्यान केंद्रित करें-
- किसी शांत स्थान पर बैठें।
- अपनी आँखें बंद करें और गहरी श्वास लें।
- श्वास को आते-जाते हुए देखें।
- इससे मन स्थिर होता है और विचारों को देखने की क्षमता बढ़ती है।
2. विचारों को देखें, उन्हें न रोकें-
- मन में कोई भी विचार आए उसे दबाएँ नहीं।
- उसे बस देखें जैसे आकाश में बादल गुजर रहे हों।
- न उसका विरोध करें न उसका पीछा करें।
3 जर्नलिंग-
- हर दिन 10-15 मिनट अपने विचार लिखें।
- इससे आपको पता चलेगा कि कौन से विचार बार-बार आ रहे हैं।
- यह अवचेतन मन को समझने का प्रभावी साधन है।
4 ध्यान-
- रोज़ाना 20-30 मिनट ध्यान का अभ्यास करें।
- ध्यान में विचारों को हटाने की कोशिश न करें बस उनके साक्षी बनें।
- धीरे-धीरे मन स्वाभाविक रूप से शांत होगा।
5 आत्म-संवाद-
- स्वयं से प्रश्न पूछें मैं यह क्यों सोच रहा हूँ?
- क्या यह विचार मुझे आगे बढ़ा रहा है या पीछे खींच रहा है?
- इस संवाद से आप अपने विचारों पर नियंत्रण पाते हैं।
विचारों का अवलोकन और मनोविज्ञान-
पश्चिमी मनोविज्ञान में इस अभ्यास को Mindfulness कहा जाता है। आज के समय में Mindfulness थेरेपी तनाव और अवसाद से निपटने का प्रमुख उपाय बन चुकी है।
वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं?
- Mindfulness से तनाव हार्मोन Cortisol का स्तर कम होता है।
- अवसाद और चिंता में राहत मिलती है।
- एकाग्रता, स्मरण शक्ति और कार्यक्षमता बढ़ती है।
- नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
इससे यह सिद्ध होता है कि विचारों का अवलोकन न केवल आध्यात्मिक साधना है बल्कि यह वैज्ञानिक रूप से भी उपयोगी है।
दैनिक जीवन में अवलोकन का प्रयोग-
1 कार्यस्थल-
जब गुस्सा या तनाव बढ़े, तुरंत प्रतिक्रिया न दें। पहले उस भावना को देखें। यह अभ्यास संबंध सुधारने और निर्णय क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
2 परिवार और रिश्ते-
परिवारिक जीवन में अक्सर छोटे-छोटे विचार ही विवाद का कारण बनते हैं। यदि हम उन विचारों को आते-जाते देखें तो अनावश्यक बहस से बच सकते हैं।
3 शिक्षा और अध्ययन-
छात्रों के लिए यह अभ्यास बेहद महत्वपूर्ण है। जब ध्यान भटकता है तो स्वयं को पकड़ें और वर्तमान विषय पर लौट आएँ।
4 स्वास्थ्य और जीवनशैली-
तनाव कम होने से नींद गहरी होती है रक्तचाप संतुलित रहता है और संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है।
विचारों का अवलोकन और भारतीय दर्शन-
भारतीय ग्रंथों में इसे साक्षीभाव कहा गया है।
- भगवद्गीता- श्रीकृष्ण ने कहा मनुष्य अपने मन का मित्र भी है और शत्रु भी।
- पतंजलि योगसूत्र- योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः अर्थात् मन की वृत्तियों को देखना और नियंत्रित करना ही योग है।
- उपनिषद- आत्मा को जानने का मार्ग है मन को देखना और उसके परे जाना।
विचारों के अवलोकन से मिलने वाले लाभ-
1 मानसिक शांति– मन हल्का और स्थिर हो जाता है।
2 रचनात्मकता– अनावश्यक विचार हटने पर नई ऊर्जा और कल्पनाशक्ति बढ़ती है।
3 आत्मविश्वास– व्यक्ति अपनी वास्तविक शक्ति को पहचानता है।
4 सकारात्मक दृष्टिकोण– नकारात्मक विचारों पर पकड़ मजबूत होती है।
5 स्वास्थ्य लाभ– तनाव कम होने से शरीर स्वस्थ रहता है।
आम चुनौतियाँ और समाधान-
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समस्या- विचारों की बाढ़ आ जाती है।समाधान- यही अभ्यास का हिस्सा है विचारों को आते-जाते देखना।
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समस्या- समय की कमी।समाधान- शुरुआत में सिर्फ 5-10 मिनट का अभ्यास करें। धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ।
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समस्या- ऊब या अधीरता।समाधान- अभ्यास को बोझ न बनाएँ। इसे आत्म-खोज की यात्रा समझें।
निष्कर्ष-
विचारों का अवलोकन केवल ध्यान या आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं है बल्कि यह जीवन जीने की कला है। जब हम स्वयं को देखने लगते हैं तो विचारों की पकड़ ढीली होने लगती है। हम समझ पाते हैं कि हम विचार नहीं हैं बल्कि विचारों के साक्षी हैं। यही समझ हमें तनाव से मुक्त करती है आत्मविश्वास देती है और हमें जीवन की गहराई से जोड़ती है।
- विचारों को रोकना कठिन है लेकिन उन्हें देखना सरल है।
- देखने का अभ्यास हमें मुक्त करता है।
- यही आत्म-जागरूकता की पहली सीढ़ी है।
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