क्या आत्म-ज्ञान सभी के लिए संभव है?

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क्या आत्म-ज्ञान सभी के लिए संभव है?


मौन साधना करते हुए व्यक्ति का चित्र

मौन साधना करते हुए व्यक्ति का चित्र

लेखक- बद्री लाल गुर्जर


प्रस्तावना

मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यही है कि- मैं कौन हूँ? यह प्रश्न जितना सरल दिखता है उतना ही गहरा है। जन्म से मृत्यु तक मनुष्य अनेक भूमिकाएँ निभाता है- पुत्र, पिता, विद्यार्थी, शिक्षक, नागरिक, व्यापारी, नेता इत्यादि। लेकिन क्या यही उसकी सच्ची पहचान है? यदि नहीं तो फिर वास्तविक मैं कौन है? यही खोज आत्म-ज्ञान कहलाती है।

आत्म-ज्ञान को भारतीय दर्शन में सबसे उच्च कोटि का ज्ञान कहा गया है। उपनिषद कहते हैं- आत्मा को जानो, वही सत्य है। गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा- जो आत्मा को जान लेता है वही जीवन के बंधनों से मुक्त हो जाता है।

लेकिन प्रश्न यह उठता है कि क्या आत्म-ज्ञान केवल कुछ संत-महात्माओं के लिए है या फिर यह हर साधारण मनुष्य भी पा सकता है? 

आत्म-ज्ञान की परिभाषा

आत्म-ज्ञान का अर्थ है –

  1. स्वयं की सही पहचान करना।
  2. शरीर, मन और बुद्धि से परे अपनी चेतना को अनुभव करना।
  3. यह समझना कि मैं केवल नाम, पद, रिश्ते और शरीर नहीं हूँ बल्कि एक अनंत आत्मा हूँ।

आत्म-ज्ञान केवल सैद्धांतिक विचार नहीं बल्कि प्रत्यक्ष अनुभव है। यह तभी संभव है जब मनुष्य भीतर झाँके और स्वयं को निष्पक्ष दृष्टि से देखे।

आत्म-ज्ञान का महत्व

  1. मानसिक शांति- आत्म-ज्ञान से तनाव, चिंता और अवसाद दूर होते हैं।
  2. निर्णय क्षमता- आत्म-ज्ञान से व्यक्ति सही और गलत का भेद कर पाता है।
  3. संबंधों में सुधार- जब व्यक्ति खुद को समझता है तो दूसरों के प्रति भी सहानुभूतिपूर्ण हो जाता है।
  4. सकारात्मक सोच- आत्म-ज्ञान नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करता है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति- आत्म-ज्ञान ही मोक्ष का मार्ग है।

आत्म-ज्ञान कठिन क्यों लगता है?

अक्सर लोग मानते हैं कि आत्म-ज्ञान केवल साधुओं, तपस्वियों या संतों के लिए संभव है। लेकिन इसका कारण यह है कि-

  • हमारी शिक्षा और समाज हमें बाहरी उपलब्धियों पर अधिक केंद्रित करता है।
  • इच्छाओं, भौतिक सुखों और प्रतिस्पर्धा ने हमें भीतर झाँकने से रोक दिया है।
  • हम डरते हैं कि यदि भीतर झाँकेंगे तो अपनी कमजोरियों से सामना करना पड़ेगा।

यानी कठिनाई बाहर नहीं हमारे अंदर की आदतों और दृष्टि में है।

आत्म-ज्ञान की राह में बाधाएँ

  1. अहंकार- मैं श्रेष्ठ हूँ की भावना आत्म-ज्ञान का सबसे बड़ा दुश्मन है।
  2. भौतिक मोह- इच्छाओं का अंतहीन चक्र हमें भीतर झाँकने से रोकता है।
  3. भय- अपनी वास्तविक सच्चाई को जानने से डर लगता है।
  4. आलस्य- आत्म-चिंतन के लिए समय और धैर्य चाहिए जो अक्सर लोग नहीं निकालते।
  5. अज्ञान- सही मार्गदर्शन न होने से लोग भटक जाते हैं।

आत्म-ज्ञान प्राप्त करने के उपाय

1 अंतर्दर्शन

प्रतिदिन अपने विचारों और कर्मों पर चिंतन करना। आज मैंने कैसा सोचा? कैसा बोला? कैसा किया? इस तरह का आत्म-मूल्यांकन आत्म-ज्ञान की पहली सीढ़ी है।

2 ध्यान साधना

ध्यान से मन शांत होता है और हम भीतर झाँक पाते हैं। यह आत्म-ज्ञान की सबसे सरल और प्रभावी विधि है।

3 योग और प्राणायाम

शरीर और मन के संतुलन से चेतना की जागृति होती है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि आत्म-जागृति का मार्ग है।

4 सत्संग और ग्रंथ अध्ययन

गीता, उपनिषद, धम्मपद, जैन आगम, सूफी साहित्य या आधुनिक प्रेरणादायी ग्रंथ- ये सब आत्म-ज्ञान की राह दिखाते हैं।

5 सेवा और करुणा

दूसरों की मदद करना और करुणा विकसित करना अहंकार को मिटाता है जो आत्म-ज्ञान की सबसे बड़ी बाधा है।

महापुरुषों के अनुभव

गौतम बुद्ध

राजमहल का वैभव छोड़कर बुद्ध ने आत्म-ज्ञान की तलाश की। वर्षों के ध्यान के बाद उन्हें बोधि प्राप्त हुआ और वे बुद्ध कहलाए।

महावीर स्वामी

त्याग, तप और ध्यान से आत्मा की गहराई का अनुभव किया और कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया।

श्रीरामकृष्ण परमहंस

उन्होंने कहा- भगवान को पाने का मार्ग आत्मा को पहचानना है।

स्वामी विवेकानंद

उन्होंने आत्म-ज्ञान को आत्मविश्वास और सेवा से जोड़ा। उनका कथन था- उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।

क्या आत्म-ज्ञान सभी के लिए संभव है?

हाँ आत्म-ज्ञान सभी के लिए संभव है।

  • यह किसी जाति, धर्म, उम्र या पद पर निर्भर नहीं करता।
  • हर इंसान के भीतर चेतना है, और चेतना को जानना हर किसी का अधिकार है।
  • फर्क केवल इतना है कि कोई जल्दी समझ लेता है कोई धीरे।

जैसे सूर्य की रोशनी सबके लिए है वैसे ही आत्म-ज्ञान भी सबके लिए है।

आधुनिक जीवन में आत्म-ज्ञान

आज की तेज़ रफ्तार दुनिया में आत्म-ज्ञान की आवश्यकता और भी अधिक है।

  • छात्र- सही कैरियर और लक्ष्य चुन सकता है।
  • गृहस्थ- रिश्तों में संतुलन और शांति रख सकता है।
  • व्यापारी- ईमानदारी से व्यापार कर सकता है।
  • नेता- स्वार्थ के बजाय जनहित में निर्णय ले सकता है।

इसीलिए आज माइंडफुलनेस, मेडिटेशन, योग जैसी विधियाँ विश्वभर में लोकप्रिय हो रही हैं।

व्यावहारिक कहानियाँ और उदाहरण

  1. एक छात्र की कहानी- मोहन हमेशा तनाव में रहता था। ध्यान और आत्म-चिंतन से उसने जाना कि उसकी रुचि कला में है और जब उसने उस दिशा में कदम बढ़ाया तो वह सफल और संतुष्ट हुआ।
  2. एक व्यापारी की कहानी- रमेश लालच के कारण धोखा करने लगा। लेकिन जब उसने गीता पढ़कर आत्म-ज्ञान का अभ्यास किया तो ईमानदारी से व्यापार करने लगा और समाज में सम्मान पाया।
  3. एक साधारण गृहिणी की कहानी- सीमा रोज़ घर के काम में उलझी रहती थी और तनाव में रहती थी। ध्यान और आत्म-ज्ञान से उसने सीखा कि संतोष और शांति भीतर है अब उसका जीवन सहज और आनंदमय है।

आत्म-ज्ञान और धर्म

  • हिन्दू धर्म- आत्मा अमर है आत्म-ज्ञान से मोक्ष मिलता है।
  • बौद्ध धर्म- आत्म-जागरूकता ही निर्वाण का मार्ग है।
  • जैन धर्म- आत्म-ज्ञान से कर्म बंधन टूटते हैं।
  • सूफी मत- खुदी को पहचानो वही खुदा है।
  • ईसाई धर्म- आत्मा की मुक्ति का मार्ग आत्म-जागरूकता है।

आत्म-ज्ञान और आधुनिक विज्ञान

मनोविज्ञान भी अब मानता है कि आत्म-जागरूकता मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी है।

  • कार्ल रोजर्स ने कहा- स्वयं को जानना ही व्यक्तित्व विकास का आधार है।
  • आधुनिक न्यूरोसाइंस बताता है कि ध्यान और आत्म-चिंतन से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बदलती है और शांति आती है।

निष्कर्ष

आत्म-ज्ञान कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं।

  • यह सभी के लिए संभव है क्योंकि हर किसी के भीतर आत्मा है।
  • आंशिक आत्म-ज्ञान भी जीवन को बेहतर बना देता है।
  • आत्म-ज्ञान केवल सन्यासियों का विषय नहीं बल्कि छात्रों, गृहस्थों, व्यापारियों और नेताओं- सबके लिए आवश्यक है।

अंततः आत्म-ज्ञान वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर जीवन को प्रकाशमय कर देता है।



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